लो कर लो बात
कालाधन और भ्रष्टाचार रामदेव जी एवं अन्ना हजारे जी २जी , ३ जी ... ओसमा जी इन सब सर्वप्रचलित बातो के बीच अचानक से आ जाते है “ श्री पदमनाभ मंदिर “ मंदिर के गुप्त तलघर में बने कमरों से कई सहस्त्र करोड़ो का कोष मिलता है जो की मेरे मतानुसार मंदिर में आये दान एवं वहाँ की प्रजा के कोष का संग्रह है , राज परिवार ने जिसने कई दशको पहले स्वयं को श्री पद्मनाभ भगवान का दास घोषित कर दिया था एवं अपनी भी सभी संपत्ति कदाचित वहीँ रखवा थी जिसका कारण मुग़ल एवं अंग्रेज आतताइयों से उसे कोष की सुरक्षा से बढ़ कर एक कारण भगवान के प्रति समर्पण लगता है ऐसा इस लिए क्यूंकि राजा की मृत्यु के बाद उसके वंशजो (संभव है नहीं भी ) ने मात्र एक बार वित्तीय संकट से घिरने पर १९०८ में कोष को खोलने का प्रयास किया था , इतने बड़े कोष का अगर वे चाहते तो स्वतंत्रता( राजशक्ति के स्थानांतरण ) के बाद गुप्त रूप से उपभोग कर सकते थे |
अब मिडिया कह रहा है की ये संपत्ति देश की “ जनता ” के कितने काम आ सकती है , दुर्भाग्य ये है की देश की जनता की में नेता भी आते है
“धन ही धन को आकर्षित करता है ” अब कई सदियों पुराने कोष का वर्तमान मूल्यांकन करना मुझे तर्क संगत नहीं लगता मेरे मत से उस खजाने को सांकेतिक रूप से देश के कोष में रखवा कर इस बहुमूल्य संग्रह को पर्यटकों के लिए सार्वजानिक कर देना चाहिए जिससे देश के भविष्य जान सके क्यूँ भारत को “सोने की चिड़िया “कहा जाता था एवं विदेशी पर्यटकों से पूंजी भी मिलेगी |
अब लोग कह रहे है इस पूंजी से सरकार की कई योजनाएं कई वर्षों तक चल सकती है सरकार ने पहले भी प्रजा के खजाने का बहुत गलत उपयोग किया है
१ . जम्मू-कश्मीर के खजाने में से श्रीनगर जाते जाते कई चीज़े लुप्त कर दी गई |
२ .हैदराबाद १९६७ में सरकार ने खजाना २४० करोड़ में ले लिया जो की वास्तविकता में कई हज़ार का था | उदहारण : कोष का एक हीरा “ जैकब ” ४०० करोड़ का था (स्रोत : भास्कर)
३ . राजस्थान में भी पानी के टाँको (टंकी ) में से कई करोड़ मूल्य का सोना कई ट्रकों द्वारा दिल्ली ले जाने की बात प्रचलित है ये इंदिरा जी के साशन काल में आपातकाल के समय हुआ था |
सरकार प्राप्त कोष को लेकर पारदर्शिता नहीं रखती एवं मूल्य भी कम बताती है , क्या पूरा कोष राज कोष में जाता है ये भी संदेहास्पद है क्यूंकि राबर्ट वाड्रा एवं सोनिया जी की बहन की पुरातन सामान के विक्रय की दुकाने है :) |
जनता के हित में जो लोग इस कोष को व्यय करने के पक्ष में है वो कालाधन लाने में और बढ़-चढ़ कर सहयोग दे वो काला धन तो इन सब खजानों से बहुत अधिक है उसका उपयोग जनता के लिए हो इस धरोहर को संभाल कर रखना अच्छा होगा |
ये क्या बात हुई की मंदिर से निकला धन तो जनता का है जनता में बाट दो (बाटने के लिए सरकार हमारी सहायता करेगी “सहायता” ???) और ये जो काला धन है वो किसका है ?
स्वदेशी से पुण्यभूमि भारत (आर्यवर्त) पुनः
रविवार, 10 जुलाई 2011
गुरुवार, 19 मई 2011
४ जून दूसरा वार
गरम लोहा भी एक चोट में नहीं आकार लेता उस पर बार बार चोट करनी पड़ती है ...
अन्ना जी के पूर्व नियोजित अनशन के बाद ४ जून को होने वाले सत्याग्रह में आप सबका स्वागत है
अनिश्चित कालीन आनशन के मुद्दे: -
1) 500 व् 1000 के नोट बंद करवाने के लिए
2) भ्रस्टाचार , बलात्कार , मिलावट करने वालो के खिलाफ सख्त कानून बनवाने के लिए
3) विदेशो में जमा भारत का 400 लाख करोड रूपये काला धन वापस लेन के लिए
4) जिन लोगो ने भ्रस्टाचार कर के धन लुटा है उनसे वापस लेने का क़ानून बनवाने के लिए
5) एक शक्तिशाली लोकपाल बिल बनवाने के लिए
जो लोग घर बैठे भी अपना सहयोग करना चाहते है उनकी भी बहुत आवश्यकता है वो कृपया नीचे के लिंक पर क्लिक कर के रजिस्ट्रेशन करे . फिर आप से भारत स्वाभिमान कार्यालय द्वारा संपर्क कर लिया जायेगा
रजिस्ट्रेशन
http://www.bharatswabhimantrust.org/bharatswa/Default3.aspx
भारत स्वाभिमान आन्दोलन का प्रामाणिक फेसबुक पृष्ठ बन गया है . नीचे के लिंक से क्लिक कर के फेसबुक पर ज्वाइन करे व् इस पर प्रकाशित होने वाले समाचारों को अपने सभी मित्रों से साँझा कर . ये आन्दोलन को गति देने के लिए बहुत बहुत बहुत महत्वपूर्ण कार्य है जो घर बैठे भी किया जा सकता है
http://www.facebook.com/bharatswabhimantrust
डाऊनलोड करे
अन्ना जी के पूर्व नियोजित अनशन के बाद ४ जून को होने वाले सत्याग्रह में आप सबका स्वागत है
अनिश्चित कालीन आनशन के मुद्दे: -
1) 500 व् 1000 के नोट बंद करवाने के लिए
2) भ्रस्टाचार , बलात्कार , मिलावट करने वालो के खिलाफ सख्त कानून बनवाने के लिए
3) विदेशो में जमा भारत का 400 लाख करोड रूपये काला धन वापस लेन के लिए
4) जिन लोगो ने भ्रस्टाचार कर के धन लुटा है उनसे वापस लेने का क़ानून बनवाने के लिए
5) एक शक्तिशाली लोकपाल बिल बनवाने के लिए
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घर बैठे भी आप इस आन्दोलन में सहयोग कर सकते हैं पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
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बुधवार, 2 मार्च 2011
एक कदम ...साठ वर्ष पुराना
भारत स्वभिमान द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध रैली जो कीदिल्ली के रामलीला मैदान पर दिनाँक २७-०२-२०११ (27-02-2011) को आयोजित हुई | भारत माँ के वीर सपूत आज़ाद चंद्रशेखर जी के बलिदान दिवस से अच्छा और कौन सा दिवस हो सकता था भारत में दोबारा क्रांति की नीव डालने के लिए ,पुरे भारत से लोग स्वयं के कार्यों को छोड़ सम्मलेन में भाग लेने आये |
एवं
मंच पर आसीन सभी महान लोगो ने अपने कई वर्षों के कडुए अनुभव से जो कुछ भी राजनीती के बारे में ज्ञात किया था आम जनता के सामने कर दिया ,लोग इसे स्वयं देखे एवं निर्णय करे |
बड़े -बड़े भाषण तो मैं भी लिख सकता हूँ , "हो रहा भारत निर्माण " के गीत तो मैं भी बना सकता हूँ परन्तु आप जनता है सब जानते है की भ्रष्ट कितना भारत निर्माण करवा रहे है | इस चित्र के माध्यम से आप भारत में मीडिया के गिरते स्तर को देख सकते है |कई सहस्त्र लोगो के स्वयं की इच्छा से इतने बड़े जनमत में आना मीडिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं है १७ पृष्ठ पर जगह दे कर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया |
एवं
मंच पर आसीन सभी महान लोगो ने अपने कई वर्षों के कडुए अनुभव से जो कुछ भी राजनीती के बारे में ज्ञात किया था आम जनता के सामने कर दिया ,लोग इसे स्वयं देखे एवं निर्णय करे |
बड़े -बड़े भाषण तो मैं भी लिख सकता हूँ , "हो रहा भारत निर्माण " के गीत तो मैं भी बना सकता हूँ परन्तु आप जनता है सब जानते है की भ्रष्ट कितना भारत निर्माण करवा रहे है | इस चित्र के माध्यम से आप भारत में मीडिया के गिरते स्तर को देख सकते है |कई सहस्त्र लोगो के स्वयं की इच्छा से इतने बड़े जनमत में आना मीडिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं है १७ पृष्ठ पर जगह दे कर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया |
शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011
"हिवरे बाजार में स्वराज" खुद देखे और सभी को दिखाएँ
मित्रों , लक्ष्य हीन प्रयास आपको कहीं नहीं ले जाता |
ये उन सभी लोगो के लिए उत्तर है जो अभी तक स्वदेशी की ताकत को नहीं समझ पाए है जो अभी तक हमारा असली लक्ष्य नहीं जान पाए है ,वे ये देखे और जाने की हम भारत के कुछ गांवों की वास्तविकता को सभी जगह लाने के लिए प्रयास रत है | क्या आप अपने गाँव का विकास नहीं देखना चाहते ?
भाग १ .
ये उन सभी लोगो के लिए उत्तर है जो अभी तक स्वदेशी की ताकत को नहीं समझ पाए है जो अभी तक हमारा असली लक्ष्य नहीं जान पाए है ,वे ये देखे और जाने की हम भारत के कुछ गांवों की वास्तविकता को सभी जगह लाने के लिए प्रयास रत है | क्या आप अपने गाँव का विकास नहीं देखना चाहते ?
भाग १ .
भग २.
भाग ३ .
फिल्म : हिवरे बाजार में स्वराज
अवधि : 23 मिनट
सहयोग राशि : 20 रुपए (डाक से मंगाने के लिए 50 रुपए पैकिंग व डाकखर्च अलग)
सीडी/डीवीडी मंगवाने के लिए संपर्क करें- 09968450971
गांव देखो! स्वराज देखो! हिवरे बाजार देखो
फिल्में सपनों की दुनिया में ले जाती हैं, हर उम्र और वर्ग के लोग फिल्में देख-देखकर सपनों में जीते रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, मध्यप्रदेश आदि कई राज्यों के गांवों में आजकल एक ऐसी फिल्म लोकप्रिय हो रही है जो वर्षों पुराने एक सपने को सच करने के लिए प्रेरित कर रही है, यह सपना है स्वराज का सपना। देश में सच्चे लोकतंत्र की स्थापना का सपना, जहां आम आदमी व्यवस्था का मालिक सिर्फ लोकतंत्र की परिभाषा में ही नहीं बल्कि हकीकत में भी हो।
और देखे ►
बुधवार, 16 फ़रवरी 2011
गंगा बहती हो क्यूं ?
परिवर्तन प्रकृति का नियम है , इस को ढाल बना कर कुछ भी कर लेने की हमे आदत सी हो गई है |
पहले से अब हालत बदल गए है मनुष्य ने कई सालो से बुरी खबरो : ये हुआ ,ये धमाका आदि सुन पढ़
इनके खिलाफ भी प्रतिरोधक क्षमता (एंटी बाडीज) विकसित कर ली है अब उस पर इनका कोई असर नहीं पड़ता जब तक उसका कोई अपना अहित ना हुआ हो उसे ना दर्द है ना ही परवाह परन्तु वह बेचारे लोग जो अभी तक इनके विरुद्ध प्रतिरोध विकसित नहीं कर पाए आज भी इन्हें पढ़ सिहर जाते है किन्तु वे दो घड़ी के लिए सोचने के आलावा कुछ नहीं कर पाते |सब अपनी जगह संतुष्ट नहीं भी है तो क्या करे कई सौ साल की गुलामी और विरासत में मिली आज़ादी जिसके लिए हमने कोई संघर्ष नहीं किया हमे ऐसे मिल गई जैसे "अंधे के हाथ बटेर " अंग्रेज जाते जाते हमारी आंखे फोड़ गए १९४७ का ग़दर उसका ही रक्त प्रवाह था |
हम कहने को संपन्न तो हो गये वो भी केवल कुछ ही जगह परन्तु उसकी कीमत हमे अपनी रीढ़ की हड्डी गिरवी रख चुकानी पड़ी |
मर्म समझने के बाद आप जान ले की आमनुष्यों की ये व्यवस्था बहुत अद्भूत है |
हाँ परन्तु उनकी इस व्यवस्था में आज भी कुछ माँ भारती के सच्चे सपूत पैदा हो जाते है , जो विश्व में शांति एवं एकता के लिए भारत के नेतृत्व की आवश्यकता को पहचानते है एवं भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने के लिए कोल्हू के बैल की तरह लगे रहते है , पुण्यभूमि भारत की यह दुर्दशा देख वे कहने के आलावा करने को प्राथमिकता देते है एवं जीवन परियन्त वो ही कार्य करते है जिसके लिए उनका जन्म हुआ था माँ भारती की सेवा |
पहले से अब हालत बदल गए है मनुष्य ने कई सालो से बुरी खबरो : ये हुआ ,ये धमाका आदि सुन पढ़
इनके खिलाफ भी प्रतिरोधक क्षमता (एंटी बाडीज) विकसित कर ली है अब उस पर इनका कोई असर नहीं पड़ता जब तक उसका कोई अपना अहित ना हुआ हो उसे ना दर्द है ना ही परवाह परन्तु वह बेचारे लोग जो अभी तक इनके विरुद्ध प्रतिरोध विकसित नहीं कर पाए आज भी इन्हें पढ़ सिहर जाते है किन्तु वे दो घड़ी के लिए सोचने के आलावा कुछ नहीं कर पाते |सब अपनी जगह संतुष्ट नहीं भी है तो क्या करे कई सौ साल की गुलामी और विरासत में मिली आज़ादी जिसके लिए हमने कोई संघर्ष नहीं किया हमे ऐसे मिल गई जैसे "अंधे के हाथ बटेर " अंग्रेज जाते जाते हमारी आंखे फोड़ गए १९४७ का ग़दर उसका ही रक्त प्रवाह था |
हम कहने को संपन्न तो हो गये वो भी केवल कुछ ही जगह परन्तु उसकी कीमत हमे अपनी रीढ़ की हड्डी गिरवी रख चुकानी पड़ी |
मर्म समझने के बाद आप जान ले की आमनुष्यों की ये व्यवस्था बहुत अद्भूत है |
हाँ परन्तु उनकी इस व्यवस्था में आज भी कुछ माँ भारती के सच्चे सपूत पैदा हो जाते है , जो विश्व में शांति एवं एकता के लिए भारत के नेतृत्व की आवश्यकता को पहचानते है एवं भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने के लिए कोल्हू के बैल की तरह लगे रहते है , पुण्यभूमि भारत की यह दुर्दशा देख वे कहने के आलावा करने को प्राथमिकता देते है एवं जीवन परियन्त वो ही कार्य करते है जिसके लिए उनका जन्म हुआ था माँ भारती की सेवा |
गुरुवार, 27 जनवरी 2011
भारत बदल रहा है § क्या वाकई ?
देश की गुलामी के स्थानांतरण के बाद (अर्थात अंग्रेजो की गुलामी से निकाल कर ...अंग्रेजियत एवं स्वार्थी नेताओ की गुलामी में )
जिन लोगो का जन्म हुआ है उनमें से बहुतो का ये सोचना है की भारत बदल रहा है , अब वो लोग ऐसा क्योँ सोच रहे है वो बताता हूँ .
○ हमारे समाचार ,कहानियाँ , फिल्मे देखने के लिए २००-३०० टी.वी. चैनल हो गए है ,जो कभी कभी कुछ सही भी दिखा देते है (भई वे भी तो इंसान ही चलते है ,धोखे से कभी कुछ भला हो जाता है )
○ भारतीय लोगो को विदेशी शराब आदि के लिए दूर-दूर नहीं जाना पढता है ,आज भारत में लगभग सभी विदेशी शराब मिलती है |
○हमारा भारतीय रेल का तंत्र सबसे बड़ा है ,विश्व का दूसरा सबसे बड़ा फिल्म जगत हमारा ही है |
○ नई गाडियाँ लेने के लिए ढेर सारे विकल्प है ,अच्छी सड़के भी है ,मोबाइल फोन भी सस्ते हो गए है |
संक्षेप में कहूँ तो उन्हें लगता है की वे पुरे विश्व से जुड़े है ,आधारभूत सुविधाएँ बहुत विकसित हो रही है ...
देश की आर्थिक स्थिति बदल रही है (वो 8 .3↑) ..और भी बहुत कुछ |
सच जानने के लिए ये चलचित्र देखिये |
तथ्य:
○ भारत के ऊपर ४१.५७ (41 .57 )लगभग 42 बिलियन का उधार है |(सौ करोड़ का एक बिलियन )
○देश की कूल कमाई का 43 % तो इसी उधार को थोड़ा - थोड़ा कर चुकाने में चला जाता है |
○ भ्रष्टाचार ...अब इस पर भी लिखने की आवश्यकता है क्या?
○ देश में 84 करोड़ लोग गरीब है , एक दिन में २० रु भी नहीं खर्च कर सकते (अर्जुन सेन गुप्ता )|
○ एक तरफ 50 लाख टन अनाज सड़ रहा है जो दो साल तक देश खा सकता है फिर भी लोग भुखमरी से मर रहे है,स्वयं सरकार भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की भी अवहेलना हो रही है |
○देश की गरीबी पर मैं जो कुछ कहूँगा अप पहले भी सुन चुके होंगे परन्तु ५ मिनिट निकाल इसे सुने
मेरा संदेश आप तक पहुँच जायेगा |
○विश्व में तरह तरह के फ्लू ,एड्स , पर्यावर्णीय गर्मी आदि के बारे में बता कर आप को मुर्ख बनाया जा रहा है |
विश्व में सबसे अधिक प्रदुषण अमेरिका करता है दुर्भाग्य से पूरब से आने वाली हवाओ के कारण ( eastern wind current ) हमारे भारतीय महा समुद्र के ऊपर ओज़ोन परत में विशाल छिद्र हो गया है |
○ दवाइयाँ तो बहुत है पर बीमारियाँ बंद नहीं होती क्योँ की आपके डॉक्टर आपको जो दवाईयां देते है उन में से बहुत सी का कोई उपयोग नहीं होता | भारत को केवल कम से कम 175 (डॉ .हाथी कमीशन द्वारा ) एवं अधिक से अधिक 250 दवाइयों की आवश्यकता है (विश्व स्वस्थ संगठन द्वारा ) |
○ संयुक्त राष्ट्र विश्व की जनसख्यां के 80% को मारने की सोची है ( दस्तावेज तैयार है )
अजेंडा 21 कहा जाता है उसे |
○ वो बी टी बैगन जैसे और भी कृतिम तौर पर तैयार किये जाने वाली फसले एवं खाना भारत में दिया जायेगा ,ये जहर लोगो को मारता है |
○ चीन तो भारत को ३० हिस्सों में बाटना चाहता है , वो तो अभी से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है |
○ भारत के १००० बिलियन , काले धन के बारे में तो आप ने सुना ही होगा जो की स्विस बैंको में जमा है |
○पूरबी देश अपना नाभिकीय कचरा भारत में फेकना चाहते है , जो कई सौ सालो तक खत्म नहीं होगा और हमारे देश की मिट्टी और मिट्टी के नीचे के पानी को भी खराब कर देगा इतना की लोगो को कैंसर हो जायेगा और उन्हें पता भी नहीं चलेगा ये हुआ कैसे |
ये सब आपको जानने का अधिकार है परन्तु देश के घटियाँ समाचार वाले जो की बीके हुए है आपको नहीं बताएंगे आपको उलझा देंगे :
इस जवाब का तुरंत उत्तर दे : " यदि एक गधे के डेढ़ सींग तो ,पांच गधो के कितने सींग "
इसका उत्तर सोचे तब तक दूसरी बात्
○ जिस तरीके से ये समाचार वाले खबरे दिखाते है उसके अनुसार तो फिल्मो ,कलाकारों एवं राजनेताओ के
आलावा देश की जनता को और कुछ जानने के लिए है ही नहीं |
○ बार -बार बताना चाहिए की देश पर उधार है . विश्व स्तर की राजनीती में भारत कितना दुर्बल है ,विश्व भारत के बारे में क्या सोचता है आदि है |
○पर हमे दिखाया क्या जाता है की सास ने बहु को क्या किया और भी बहुत कुछ बकवास ... जब तक आप ये सब देखना बंद नहीं करेंगे ... पेट्रोल के दाम बढते रहेंगे ,लोग भूखे मरते रहेंगे क्योँ की वे लोग वो ही दिखाते है जो मसालेदार हो और खूब लोग देखे , याद रखे ये भी अत्यधिक हानिकर भोजन की तरह है जो जिव्हा पर तो अमृत है पर पेट में जहर,वैसे ही सुनने में तो ठीक परन्तु दिमाग में केवल कचरा भरते है आपको विचार शून्य बनाते है |
जब गधे के सींग होते ही नहीं तो उनकी गिनती से क्या अर्थ ...मैं तो आपको कुछ ही तथ्य बता पाया परन्तु आप स्वयं और भी पता कर सकते है बस थोड़ा साहस करे एवं बदलाव के लिए तैयार रहे और लोगो को भी बताये कृपया . . . जनचेतना आवश्यक है |
मंगलवार, 25 जनवरी 2011
संकीर्ण एवं आलसी सोच ‼
अनुभवी वृद्ध : बेटा सुबह उठ कर तांबे के पात्र में रखा पानी पीना चाहिए,शरीर स्वस्थ रहता है |
परिवार : ये सब पुरानी भ्रामिक बाते है |
अनुभवी वृद्ध : जैतून आदि के तेल से मालिश करनी चाहिए शरीर स्वस्थ रहता है |
संकीर्ण एवं आलसी सोच : इन सब बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है |
अनुभवी वृद्ध : नीम आदि के पत्तों को पानी में डाल स्नान करना चाहिए |
परिवार : होता होगा आपके समय में |
....
क्या आपने संकीर्ण एवं आलसी सोच से ऊपर उठ, एसी किसी भी बात् की प्रमाणिकता जानने का प्रयास किया ?
यदि किया होता तो आपका भ्रम मिट जाता एवं इन प्राचीन बातों का आधार भी मिल जाता |
आज टी.वि. में बड़े -बड़े लोगो को पैसे दे कर कंपनियां हमे बताती है की
हमारा साबुन लो इसमें नीम ,हल्दी आदि के गुण है |
हमारा कपडे धोने का पाउडर लो इसमें निम्बू की ताकत है |
हमारे दन्त मंजन में नमक ,लौंग आदि है |
मान्यवर , ये उन विदेशी कंपनियों के लिए नई बात् हो सकती है पर हमारे लिए नहीं ...
हमारी सोच एसी हो गई है की हम नीम ,जैतून ,लौंग ,इलायची, हल्दी आदि के सार (essence,extract)
वाले सामान तो हाथो हाथ खरीद लेंगे और मूल छोड़ देंगे |
भारत के खेतो,जंगलो आदि में पैदा होने वाला सामान चन्दन ,हल्दी ...विदेशी कंपनियां औनी - पौनी कीमत में खरीदी वापस भारत को ही ऊँची कीमत में बेच देती है (और उसमें भी बहुत अनियमितता रहती है ) | जितने में आप केवल हल्दी या केसर के सार वाले सौंदर्य प्रसाधन का 3०० -४०० ग्राम के सामान खरीदेंगे उतने में तो किलो में हल्दी खरीद लेंगे केसर भी ज्यादा ही आवेगा कम नहीं |मैंने तो किसी- किसी सौंदर्य प्रसाधन के सामान को ६९९(699)रु का ५० ग्राम अर्थात 13,980रु का एक किलो का देखा है ,मुर्ख लोग उसे खरीदते भी है | अब सोचे कई हजारो किलो के साबुन के घोल में खुशबु लाने के लिए अगर 50 से ६० किलो गुलाब ,हल्दी,चन्दन आदि का सार (essence,extract) डाल भी दिया तो आपको उससे क्या फायदा होगा |
इस हमसे →उन्हें और फिर→ हमे के चक्र को तोड़ने के लिए हमे स्वयं स्वावलंबी होना ही होगा |
सोच के देखिये की अगर केवल सार से हमे इतना लाभ होता है तो मूल से लितना अधिक होगा | अगर हम अपनीआवश्यकता की चीजों के बीच से विदेशी कोप्मानियों को हटा दे तो कीमत में असाधारण कमी आयेगी एवं देश के किसानो को उचित मूल्य भी मिलेगा |
आप जो जाने अनजाने में स्वयं का एवं देश का अहित कर रहे थे ...और विदेशी कंपनियां कितना लूट रही है इसको जानने के लिए ये चल चित्र (विडियो ) देखे : चलचित्र देखे (उपदेशक राजीव दीक्षित जी )
परिवार : ये सब पुरानी भ्रामिक बाते है |
अनुभवी वृद्ध : जैतून आदि के तेल से मालिश करनी चाहिए शरीर स्वस्थ रहता है |
संकीर्ण एवं आलसी सोच : इन सब बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है |
अनुभवी वृद्ध : नीम आदि के पत्तों को पानी में डाल स्नान करना चाहिए |
परिवार : होता होगा आपके समय में |
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क्या आपने संकीर्ण एवं आलसी सोच से ऊपर उठ, एसी किसी भी बात् की प्रमाणिकता जानने का प्रयास किया ?
यदि किया होता तो आपका भ्रम मिट जाता एवं इन प्राचीन बातों का आधार भी मिल जाता |
आज टी.वि. में बड़े -बड़े लोगो को पैसे दे कर कंपनियां हमे बताती है की
हमारा साबुन लो इसमें नीम ,हल्दी आदि के गुण है |
हमारा कपडे धोने का पाउडर लो इसमें निम्बू की ताकत है |
हमारे दन्त मंजन में नमक ,लौंग आदि है |
मान्यवर , ये उन विदेशी कंपनियों के लिए नई बात् हो सकती है पर हमारे लिए नहीं ...
हमारी सोच एसी हो गई है की हम नीम ,जैतून ,लौंग ,इलायची, हल्दी आदि के सार (essence,extract)
वाले सामान तो हाथो हाथ खरीद लेंगे और मूल छोड़ देंगे |
भारत के खेतो,जंगलो आदि में पैदा होने वाला सामान चन्दन ,हल्दी ...विदेशी कंपनियां औनी - पौनी कीमत में खरीदी वापस भारत को ही ऊँची कीमत में बेच देती है (और उसमें भी बहुत अनियमितता रहती है ) | जितने में आप केवल हल्दी या केसर के सार वाले सौंदर्य प्रसाधन का 3०० -४०० ग्राम के सामान खरीदेंगे उतने में तो किलो में हल्दी खरीद लेंगे केसर भी ज्यादा ही आवेगा कम नहीं |मैंने तो किसी- किसी सौंदर्य प्रसाधन के सामान को ६९९(699)रु का ५० ग्राम अर्थात 13,980रु का एक किलो का देखा है ,मुर्ख लोग उसे खरीदते भी है | अब सोचे कई हजारो किलो के साबुन के घोल में खुशबु लाने के लिए अगर 50 से ६० किलो गुलाब ,हल्दी,चन्दन आदि का सार (essence,extract) डाल भी दिया तो आपको उससे क्या फायदा होगा |
इस हमसे →उन्हें और फिर→ हमे के चक्र को तोड़ने के लिए हमे स्वयं स्वावलंबी होना ही होगा |
सोच के देखिये की अगर केवल सार से हमे इतना लाभ होता है तो मूल से लितना अधिक होगा | अगर हम अपनीआवश्यकता की चीजों के बीच से विदेशी कोप्मानियों को हटा दे तो कीमत में असाधारण कमी आयेगी एवं देश के किसानो को उचित मूल्य भी मिलेगा |
आप जो जाने अनजाने में स्वयं का एवं देश का अहित कर रहे थे ...और विदेशी कंपनियां कितना लूट रही है इसको जानने के लिए ये चल चित्र (विडियो ) देखे : चलचित्र देखे (उपदेशक राजीव दीक्षित जी )
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